माँ! 15 साल से ज्यादा हो गये, जब आपने हम सबसे विदा लिया. राम जी के वनवास से भी ज्यादा. डेढ़ दशक हो गए आपसे मिले, ये कैलेंडर कहता है मगर दिल कहता है डेढ़ लम्हा भी नहीं हुआ,जैसे आज अभी की ही बात हो.आज की यह तारीख़ मेरी ज़िंदगी के कैलेंडर से कोई डिलीट कर दे और बस यहीं सब कुछ रोक दे,दुर्गा पूजा का वो समय था जंहा सब लोगों अपने यहां भगवती को बुला रहे थे उस समय आप हमे छोड़ कर चले गए,वो समय आज भी सिहरन देता है उस समय मैं इतना तो नहीं समझ पाया था की आपका न रहना मुझे कितना प्रभावित करेगा उस समय तो मन में आया सब के साथ होता है मेरे साथ भी हुआ लेकिन आज केवल इतना नहीं है.आपका जाना संसार के सारे जीव का मुख मोड़ लेना था,मुझे emotion के स्तर पर इतना कमजोर कर गया आपका जाना की आज तक किसी का बेटा मात्र बोल जाना मुझे उसके माया जाल मे डाल कर अपने आप को भुला देता है. आपके जाने को मैं आज भी इंकार करता हूँ,क्योंकि आपका जाना सिर्फ जाना नहीं था मेरी सोच,मेरे सपनों का चले जाना हुआ क्योंकि मैंने जो सपने देखे थे वो आपकी आँखों से देखे थे और वो आपके...
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