माँ के नाम पत्र

माँ! 
 
    15  साल से ज्यादा  हो गये, जब आपने हम सबसे विदा लिया. राम जी के वनवास से भी ज्यादा. 
 डेढ़ दशक हो गए आपसे मिले, ये कैलेंडर कहता है मगर दिल कहता है डेढ़ लम्हा भी नहीं हुआ,जैसे आज अभी की ही बात हो.आज की यह तारीख़ मेरी ज़िंदगी के कैलेंडर से कोई डिलीट कर दे और बस यहीं सब कुछ रोक दे,दुर्गा पूजा का वो समय था जंहा सब लोगों अपने यहां भगवती को बुला रहे थे उस समय आप हमे छोड़ कर चले गए,वो समय आज भी सिहरन देता है उस समय मैं इतना तो नहीं समझ पाया था की आपका न रहना मुझे कितना प्रभावित करेगा उस समय तो मन में आया सब के साथ होता है मेरे साथ भी हुआ लेकिन आज केवल इतना नहीं है.आपका जाना संसार के सारे जीव का मुख मोड़ लेना था,मुझे emotion के स्तर पर इतना कमजोर कर गया आपका जाना की आज तक किसी का बेटा मात्र बोल जाना मुझे उसके माया जाल मे डाल कर अपने आप को भुला देता है. 
आपके जाने को मैं आज भी इंकार करता हूँ,क्योंकि आपका जाना सिर्फ जाना नहीं था मेरी सोच,मेरे सपनों का चले जाना हुआ क्योंकि मैंने जो सपने देखे थे वो आपकी आँखों से देखे थे और वो आपके जाने के साथ चले भी गए क्योंकि मेरे अन्दर वो सामर्थ आज तक न आ पाया आपने इतना ज्यादा मुझे दुलार दे दिया शायद मैं उसके लायक नहीं था,मुझे जितना ही ज्यादा आपने सम्भाल कर रखा है आज उतना ही तप रहा हू. 
आप तो बचपन से कहते थे कि मेरा बेटा ये करेगा, मेरा बेटा वो करेगा.आपने मेरे से जुड़ी सारी चिंताएं खुद पर ले रखी थी,लेकिन जब आपको छोड़ कर जाना ही था तो इतना ख्याल क्यों रखना.आपके बिना हर कोई बिखरा हुआ है,हर किसी को तकलीफ मे देखने के कारण मैं अपनी तकलीफ भूल जाता हू. 
     आपको पता है पापा को अब खाने मे बाल मिल भी जाता है तो खाना नहीं फेंकते है,उनके पैर में जब दर्द होता है तो खुद ही अपना पांव दबा लेते हैं.पापा अपनी व्यथा किसी को बता नहीं पाते,मैं उनके नजदीक कभी रहा नहीं था या बहुत डरता रहा इसलिए मैं उनके सुख-दुख में साझेदार नहीं बन पाता हू आखिर वो किसको कहे अपनी बात. मैं उनके लिए अच्छा बेटा नहीं बन पाया. मैं उनके लिए नालायक बेटा हू.  सबसे उतनी ही बात होती है जितना काम होता है विशाल बहुत हद्द तक मेरे और पापा के बीच सेतु का काम करता है वो काफी समझदारी से पापा को सुनता है उनको समय दे पाता है.मैं उसके कारण काफी निश्चिंत रहता हू, 
विशाल (कान्हा) भी बड़ा हो गया है,उतना बड़ा जितना छोटा आप उसे छोड़ कर गए थे. वो बगल के सभी लोगों से मेरे लिए लड़ता है क्योंकि घर वालों के सामने मैं बोल नहीं पाता .
विशाल के लिए मैं गार्डियन से ज्यादा कुछ नहीं रह पाया,मैं एक अच्छा भाई नहीं बन पाया.आप गुस्सा करते थे जब मेरी और विशाल की लड़ाई होती थी.जब से आप गए विशाल और मैं नहीं लड़ते.मैं लड़ता नहीं हू. मेरे अन्दर का बच्चा आपके जाने के साथ ही चला गया, मैं उसी दिन बड़ा हो गया. मैं विशाल की बाते सुनने का प्रयास करता हू,मैं उसके लिए माँ बनने का असफल प्रयास करता हू.अब वो भी बड़ा हो गया उसने दिल्ली विश्वविद्यालय से विधि मे अपना स्नातक पूरा कर लिया है. वो काला कोट पहन कर कोर्ट जाता है. मैं अपना दर्द उसके सामने भूल जाता हू क्यूंकि जब आप गए तो मैं इतना बड़ा था की ये समझ पाता था की आपका न रहना मेरी चंचलता को निष्क्रिय कर देगा लेकिन वो इतना छोटा था की उसे ऐसी चीजों की समझ ही नहीं थी उसे क्या पता था उस समय अगर माँ नहीं होगी तो वो पूरे साल घर से बाहर रहेगा तो छुट्टी होने पर भी घर नहीं जा पाएगा. 
उसे क्या पता था जब उसकी क्लास के सारे विद्यार्थियों के पास उसकी माँ का फोन आएगा और उसे छुट्टी मे घर बुलाएगी तो उसे माँ के कारण घर जाने का बहाना मिल जाएगा. 
उसे क्या पता था जब वो दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ने जाएगा तो घर से जाते वक़्त उसको नाश्ता बना हुआ नहीं मिलेगा और जब वो हास्टल जाएगा तो सबके घर से माँ ने घी,ठेकुआ,नमकीन उसमे बहुत सारा प्यार मिला हुआ दिया होगा और कहा होगा बेटा समय से खाना, क्लास जाने से पहले दो गो खा कर पानी पी लेना ऐसा नहीं कोई कह पाएगा.
 पापा से छिपा कर अपने साड़ी के आँचल से बंधा,मोड़ सोड कर रखा हुआ पैसा नहीं मिलेगा जो महीनेभर के ख़र्चे के पैसे से ज्यादा क़ीमती होता है वो नहीं मिल पाएगा.
उसे क्या पता था केवल माँ ही उससे उसके हाल के लिए फोन करेगी, केवल उसी को चिंता होगी की बेटे ने आज खाना नहीं खाया तो वो कैसे खा लेगी.
उसे नहीं पता था अगर माँ नहीं होगी त्यौहार उसके लिए उत्सव नहीं बाहर घूमने, फिरने का एक जरिया मात्र होगा. 
उसको नहीं पता था अगर माँ नहीं होगी तो घर उसके लिए पैतृक संपति से ज्यादा कुछ नहीं होगा. 
खैर मैं ज्यादा नहीं कह पाउंगा,क्योंकि आपको कोई फर्क़ नहीं पड़ता मेरी ऐसी फालतू बातों से.आपको क्या पता माँ न रहने का दर्द! आपके साथ ये नहीं हुआ न,आपको माँ बाप का दुलार भरपूर मिला न इसलिए आपको नहीं पता चलेगा. 
और हाँ आपको सबसे ज्यादा चिंता थी न कि राहुल यानी मैं नहीं रह पाउंगा,मेरे बिना कंही नहीं जाता है, खाना नहीं देती हू तो नहीं खाता है, बाथरूम में तौलिया कभी नहीं ले कर जाता है,माँ है न लाएगी. वगैरह वगैरह.. यही सब आपकी चिंता थी न.आपको लगता था मुझे कष्ट होगा,मैं आपको बता दु मैं सही से हू मुझे कोई दिक्कत नहीं है और अगर है भी तो आपको क्या?और हाँ मैं कोई निर्णय नहीं ले पाता हूं वैसे मेरी राय का कोई मतलब भी नहीं है मुझे घर वालों ने अपनी प्रतिष्ठा बचाने का टूल्स मात्र समझ रखा है, उनकी मेरे से ये उम्मीद है की वो जो थोप दे मैं उसको मान जाऊँ,मेरी इच्छा पूछना तक कोई सही नहीं समझता. खैर.... आप खुद सही है न बस. मुझे आपसे बहुत सारी शिकायतें है.कभी मिलूंगा तो बताऊँगा. वैसे आपने जित्या पर्व किया था, मैं भी कुछ ऐसा करता जो आप अभी रहते. 
बाकी आपने ठीक नहीं किया,सबको छोड़ कर चले गए 
आपने गलत किया मेरे साथ,विशाल के साथ,पापा के साथ 🙏
आपके जाने के बाद हालांकि ये नाम भी चला गया वैसे 
   आपका राहुल (नीलेश) 


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