छोड़ दे

उस पर हक़ जताना छोड़ दे 
गैरों को अपना बताना छोड़ दे 
खुश रहो उसकी खुशी देख कर
अपनी तकलीफ उसे बताना छोड़ दे 

दर्द है तो दवा ले,आराम कर 
घाव पर नमक लगाना छोड़ दे 

दुनिया मगन है खुद के तरानों मे 
तू गीत,ग़ज़लों को फरमाना छोड़ दे 

तू लिख नज्म,कर संगम उनके नाम, 
कागज के शब्दों को गुनगुनाना छोड़ दे 

जिसके बिन अधूरे हम वो बिन हमारे पूरा है 
साथ उसके तेरा समय ठहरे ये सुनाना छोड़ दे 

तुझे नहीं पसंद उसका ख्याल कोई रखे 
तू ख्यालों में अपने उसको लाना छोड़ दे 


इश्क करता है तो कर,नहीं फिक्र उसे, 
मगर इश्क उसी से है ये जताना छोड़ दे , 



✒️नीलेश सिंह

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