पुलवामा
तेरी शहादत तेरा बलिदान
देश तुझे करता प्रणाम
भूखे प्यासे तुम रहते,
तब होती हमारे चेहरे पर मुस्कान l
हमे तू बचाता, हमसे ही तू पत्थर खाता
हाथ तेरे बंदूक फिर भी तू लाचार हो जाता
कभी पुलवामा कभी कारगिल होता
तू हँसकर जान देता, तेरे लिए आसमाँ रो जाता l
माँ का लाल, बहन की राखी,
किसी के माथे का तू सिंदूर
पिता का गौरव है तू,
कैसे तुझे नम आँखों से करे कुबूल.
तुझे क्या तू तो चला गया
गिर गया धरा पर, आसमानी हो गया
हंसते हंसते रुला दिया तूने,
किसी का दूध तो किसी का सिंदूर गया l
कोई वेलेंटाइन मनाता, कोई तेरी यादो को गले लगाता
लिपट जाता तिरंगा पर वो न लिपट पाता
तेरा हाथ थाम आयी थी जो सब को छोड़ कर
खा कर सात जन्म की कसम, तेरी परछाई को तरस जाता.
✒️ नीलेश सिंह
पटना विश्वविधालय
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