जाति की गणना


शिक्षक भी है आज हताश,परेशान 
जब जात-पात करने का दिया उसे काम 
जिसे सिखाया था उसने इंसान से जाति घटाना 
आज उसी को कहता जरा अपनी जाति बताना l
कहा था,जाति न पूछो साधु की,पूछ लीजिए ज्ञान, 
उसे भी नहीं रहा आज अपनी बातों का ध्यान 
वो दरवाजे पर पूछ रहा किस जात के तुम इंसानl
कक्षा में जिसे जात-पात से दूर रहना सिखाया 
घर में उसी से उसकी जात पूछ कर आया 
था जो समाज निर्माण का निर्माता, 
उससे समाज में विध्वंस फैलाया l
नया स्लोगन समाज में आया 
जाति पूछो विद्यार्थियों की पड़ा रहने दो ज्ञान 
जात ही जात के काम आए,क्या होता है इंसान. 

  नीलेश सिंह 













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