खुद को गलत मान,

कितना बुरा हो गया हूं मैं
दिलों से सबके उतर गया हू मैं
लोगों से माफी मांग कर थक गया 
मैं गलत हूं ये मान गया हू मैं 
सच बोल कर ग्लानि मे जी रहा हूँ 
झूठ उतना भी गलत नहीं होता ये मान गया हूं मैं 
संबंधो के नफा-नुकसान का हिसाब न लगा पाया मैं 
मेरी औकात क्या है ये जान गया हू मैं 


✒️नीलेश सिंह 

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