जीवन एक ट्रेन

मेरा जीवन ट्रेन की उस जनरल बोगी की तरह है जिसकी सीट पर बैठने के लिए पहले सब लड़ते-झगड़ते है और वो सीट जिसे मिल जाती है फिर उस पर बैठ कर अपने गंतव्य स्थान पर लोग पहुँचते है,बाद में उस सीट को भला बुरा कह कर उसे भूल जाते है.


✒️नीलेश सिंह
  पटना विश्वविद्यालय 

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