बेचारा

कितना बेचारा लगता हूँ
जब नकारे जानेके बाद भी
तुम्हारे ही इर्दगिर्द भटकता हूँ
आत्मसम्मान शब्द
कितना निर्बल असमर्थ लगता है
मेरे प्रेमके आगे
क्यूं ये तुम देख नहीं सकती
हमेशा सबको साथ लेकर चलने वाला
लड़का क्यूं रहा है अकेला 
तुम्हारे प्रेम के आगे
कहीं मैं इस धरा का 
सबसे बदनसीब इंसान तो नहीं

Comments

Popular posts from this blog

माँ के नाम पत्र

छठ एक एहसास

बारिश के रंग, खुद ही खुद के संग ♥️♥️