इश्क की क्लास

तुम किसे आजमा रहे हो, 
सच को तुम झूठ बता रहे हो, 
देखो बाहर बादलों का घेरा है और 
तुम दिन को रात बता रहे हो.
नीयत में तुम्हारे खोट दिखता है और 
चेहरा चमकाने तुम पार्लर जा रहे हो 
खुद की नजरों में खुद को मत गिरा, 
किसी को ऑफलाइन तो किसी को ऑनलाइन निपटा रहे हों
इश्क की क्लास में पीछे बैठ कर देखा है मैंने, 
किसी से मैसेज तो किसी से फोन पर बतिया रहे हो.

     ✒️ नीलेश सिंह 

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