#अकेले

गैरों को समझते-समझते हम समझदार हो गए 
मौन रह कर खुद के गुनाहगार हो गए 
दूसरों की नजर से हम दुनिया देखते रहे 
हम खुद की नजरों में ही गिरफ्तार हो गए 
लोग चप्पल देख भीड़ का अंदाजा लगा रहे थे 
खुद के घर में ही हम किराएदार हो गए 
मेरे चेहरे की हँसी झूठ छिपा लेती है मेरा 
अंदर ही अंदर हम जार जार हो गए 
मत तोलो मेरी चुप्पी को अपने झूठे अभिमान से 
क्या पता अगर कल हम अखबार हो गए 


     ✒️नीलेश सिंह

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