महिला दिवस

हे भारत के भारती
तेरी उतारू मैं आरती
तुझको करता हू मैं नमन
तुझसे ये देश तुझसे ये वतन

बिन सीता यहां राम नहीं 
बिन राधा यहां श्याम नहीं 
नाम तेरे है अलग अलग 
बिन तेरे न सृष्टि, कोई इंसान नहीं. 

तू ही माँ, तू ही मौसी हमारी
तुझसे ही ये दुनिया सारी
माँ की ममता किसको न भाती 
बहन तो भैया को रुलाती 
पत्नी तो होती जीवन साथी 
वो है घर की दीया और बाती 

आज दिवस तेरा मनाऊँ 
हर दिन तुझे कैसे भूल जाऊँ 
तेरे गुण मैं जितना गाऊँ 
उससे ज्यादा तेरा प्यार पाऊँ 

तेरे बिन कैसे करू जीवन की कल्पना 
तू न होती तो हकीकत भी होता सपना. 


नीलेश सिंह 

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