मुस्कराहट

आंसू है मग़र निकाल पाता नहीं 
लिखता तो है मग़र बोल पाता नहीं 
धनी था वो भी ठहाकों का पहले 
हँसता तो है मग़र मुस्कुराता नहीं.

     ✒️ नीलेश सिंह
    पटना विश्वविधालय 

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