सच झुक जाता
ढोंग की क़ीमत अधिक है आदमी से
जीत कैसे पाएंगे अपने अपनों से
आईने सारे शहर के तोड़ डाले
चेहरे पर धूल दिखती बड़ी मुश्किल से
कल तक तो हम बड़े अच्छे थे उनके लिए
आज क्या कर दिया पूछना उस लड़की से
कोई दे सकता है भाषण हर बात पर
झूठ भी बोलो तो, बोलो बानगी से
झूठ के बाजार मे सच का कोई मोल नहीं
सच भी चलता यहां झूठ की मर्जी से
Comments
Post a Comment