बुरा इंसान
उसकी सारी शर्तें मान कर भी मैं औरों के सामने टिक न पाया
भला था बुरा था क्यों ही उसने मुझे अपना बनाया
उसको मेरी तकलीफ नहीं दिखी औरों के सामने
मैं क्यों परेशान हू खुद को नहीं बता पाया
मुझे खुद की बेवकूफ़ी पर तरस आता है
न मैं उससे दूर हो रहा न नजदीक रह पाया
मैंने सोच भी कैसे लिया की वो सिर्फ मेरा है
उसने हंस हंस कर औरों के सामने मुझे जलील कराया
वो इतने दिनों से स्वीकार न कर पाए सब के सामने हमे
उन्होंने अपनी छवि को सोने की तरह चमकाया
ये शतरंज का खेल हम रिश्तों में नहीं खेल पाए
मैं तुम्हारे सिवा किसी का नहीं हू ये हमने उसे बताया
तुम कल भी अच्छे थे आज भी अच्छे हो
हमने सबके सामने खुद को अच्छा नहीं बताया
वैसे तो सबके सामने मजबूत बना फिरता हूँ मैं
लेकिन उसके सामने मैं अपने आंसू छिपा नहीं पाया.
महफिलें तो कई हमने भी देखी,शबाब भी देखा
मुझे पसंद किया भी मगर मैं अपनी पसंद बदल नहीं पाया
मुझे बताया गया था की रास्ता कठिन है मगर
आसान रास्ता देखा भी मगर मंजिल बदल न पाया
Comments
Post a Comment