शर्तें

आज मैंने शर्तों का प्यार देखा
भावनाओ की बोली लगने वाला बाजार देखा
हम उस बाजार में बोली न लगा पाए 
चुप चाप अपनी खुशियो के बिकने का व्यापार देखा. 


     ✒️ नीलेश सिंह 

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