तेरी शहादत तेरा बलिदान
 देश तुझे करता प्रणाम
भूखे प्यासे तुम रहते, 
तब रहती हमारे चेहरे पर मुस्कान l

हमे ही बचाता हमसे ही तू पत्थर खाता
हाथ तेरे बंदूक फिर भी,तू लाचार हो जाता
कभी पुलवामा तो कभी हन्दवाडा में होता 
तूने हंसकर दी जान,तेरे लिए आसमान भी रो जाता l

माँ का लाल,बहन की राखी, किसी का तू सिंदूर 
पिता का गर्व है तू,कैसे तुझे तेरी बंद आँखों से करे कुबूल l

तुझे क्या, जो तू चला गया 
गिर गया धरा पर,आसमानी हो गया 
हंसते हंसते रुला दिया तुमने सबको 
किसी का दूध, किसी के माथे का सिंदूर गया l

तुझे देख कर भी ना वो रो पायी 
लिपट गया तिरंगा, पर वो ना लिपट पायी 
तेरा हाथ पकड़ आयी थीं तेरे घर,छोड़ सबका साथ 
सात जन्म की खा कर कसम,छोड दी आज तूने परछाई l

#नीलेश सिंह

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