काश वो भी ऐसा होता

इस साल का ये पहला मिलना, मिलने की वो जगह जिसे Street food area कहते हैं मेरे लिए जैसे पूरा शहर हो गया था. उनके साथ खुले आसमान मे बैठना ऐसा था जैसे मुझे इस दिन का काफी इंतजार था और काफी मुद्दत के बाद मुझे ये साथ मिला हो. आज मुझे ऐसा लगा जैसे चांद की उंगली पकड़ कर मैं सारा आसमान खुद मे समेट रहा था. इस ठंड के मौसम में उँगलियों पर उँगलियों की छुअन से पूरे शरीर को सुकून की घूंट महसूस हो रही थी. उनके एहसास से ये ठंड भी खुद गर्माहट महसूस कर रही थी.ये चंद खुशी की शाम काश रुक जाती.ये ऐसी शाम होती है जो जिंदगी के नफरत के कई दिन को खुद के भीतर सोख लेती है. जीवन के सारे नकारात्मक प्रभाव को प्रेम की ऊर्जा से पाटा जा सकता है. आपके प्रेम से आपकी शंकाए सिकुड़ जाती है और आशाएं फैल जाती है. प्रेम मे गुजरी एक शाम न जाने कितने दिनों की दास्तान बन जाती है. कभी-कभी किसी का आपके अलावा किसी और के लिए बेचैनी ठंड मे पसीना पोछने की तरह होती है और सामने वाले के ऐसे व्यवहार के बाद भी अगर आप उसको नजरो के सामने ही देखना चाहते हो तो निश्चित तौर पर आपका प्रेम निस्वार्थ होता है. मेरा उनके लिए ऐसा लगाव होना जो आपके साथ रह कर किसी और के साथ न होने का अफसोस जताए तब दर्द होता है वो दर्द थोड़ी देर होता है लेकिन बहुत देर नहीं. उतनी देर जितनी देर शाख से पत्ते टूटने का.क्योंकि आप कई बार कई चीजों के होने की वज़ह नहीं जान पाते और जानना भी नहीं चाहते,लेकिन जीवन में कई बार हमे कोई क्यू पसंद है ये पता नहीं कर पाते और मालूम करना भी नहीं चाहिए. खैर ऐसी शाम का जीवन, जीवन की अनेकों अनेक शाम पर भारी है. ऐसी शाम जो आपको किसी कंधे का सहारा दे ऐसी शामें आपके कई शामों के गिले शिकवे को धुंधला बना देती है..
खैर एक दिन सबको सो जाना हैं लेकिन सोने से पहले खुद को खुद का हिसाब देना और उस हिसाब मे बिना किसी को आहत किए सो जाना ही जीवन को जीना है.

    ✒️नीलेश सिंह 

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