अच्छे दिन की सरकार
चारो तरफ मचा हाहाकार है
लाशों की गिनती से भरा रहता अखबार है
दिखाई नहीं देती उम्मीद की किरण कोई
अभी अच्छे दिन लाने वाले की सरकार है
है खामोश हमारे हुक्मरान सिसकियों पर,
चुनावों में बोलने को उनके पास बाते हजार है
मंगल पर तो जीवन ढूंढ लिया हमने
धरती पर जीवन के अमंगल का कौन गुनहगार है
थाली पीट रहे थे कल जो अपने आँगन में
आज घर में छाती पीटने का कौन जिम्मेवार है
ढूंढ रहे कुछ लोग इस आपदा में अवसर को
कोई ईमान बेच रहा, किसी का हवा का व्यापार है
दर्द इतना गहरा की अब दर्द भी कराह रहा
आँखों को आंसू के सूखने का इंतजार है
पल पल मौत का साया मंडरा रहा हो जैसे
किसी का यार बिछड़ा,किसी का टूटा परिवार है
कल तक मंदिरों के बाहर बिक रहे थे फूल माला बन कर
आज श्मशान के बाहर लंबी लगी कतार है
चारों तरफ हाहाकार है.........
अभी अच्छे दिन लाने वाले की सरकार है.....
✒️ नीलेश सिंह
पटना विश्वविद्यालय
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