पास हो कर दूर

पूरे दिन रह कर साथ
न हो पायी उनसे बात
देख सके उनको दूर से ही
न डाल पाए हाथो मे हाथ
सोचा रोक ले हर लम्हों को,
पता ही न चला कैसे करे शुरुआत
सोचा उनसे गले मिल कर सुकून ले 
कुछ रह गया न कह पाए उनको अपने ज़ज्बात. 
क्या था जो उनसे हम कहते,ये पता नहीं लेकिन, 
दूर हो कर उनसे कट नहीं रही हमारी रात. 

Comments

Popular posts from this blog

छठ एक एहसास

माँ! के नाम पत्र

बारिश के रंग, खुद ही खुद के संग ♥️♥️