poem

हालात है मुश्किल घरों में हम कैद है
चाह है बहुत मगर, चाहत हमारी कैद है l

हवा चल रही है चारों दिशाओं से
साँस ले रहे हम, मगर आस हमारी कैद है l

आरती हो रही, अज़ान भी हो रहा 
भगवान सब कुछ देख रहा, मगर भक्त ही कैद है l

सड़के है वीरान, शहर है सुनसान
नजारे हम देख रहे, नजरे हमारी कैद है l

साथ है सबके,  खौफ भरा है दिलों में
अपनों के साथ जी रहे, मगर अपनेपन से कैद है l

फोन पर जान लेते हैं हाल चाल हम 
बात बहुत होती,मगर ज़ज्बात हमारे कैद है l

थम गई है ये घटा, बादल भी है परेशान 
रो रहा वो जमीन के लिए मगर ,आंसू उसके कैद है l

मौसम बदल रहे है, करवट ले रहा आसमाँ 
तूफान चल रहा मगर उफान हमारे कैद है l

चहक रहे पक्षी, कर रहे चारों और शोर 
पहरा रहता उन पर, मगर पिंजरा उनका कैद है l

शिखर पर पहुंचने की तमन्नाएं है भरी हुई 
रास्ते तो बहुत है मगर मंजिल हमारी कैद है l

                                                      #nilu        
                          .                  ✍️ नीलेश सिंह

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