सब्र

बेसब्र है मगर वो सब्र रखता है 
तोड़ कर अपना दिल वो दूसरों का मन रखता है 
बुरा भी लगे तो चुप रहता,मगर कुछ बोलता नहीं 
मुझे भी अखरता है जब वो औरों के लिए संवरता है 

 ✒️नीलेश सिंह 
   पटना विश्वविधालय 

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