किराएदार


गैरों को समझते-समझते समझदार हो गए 
मौन रह कर खुद के गुनाहगार हो गए 
 किसी से गिला शिकवा नहीं हमे 
हम खुद की नजरों में ही गिरफ्तार हो गए 
साजिश थी जमाने की या किस्मत हमारी खराब थी 
खुद के घर में भी हम किराएदार हो गए 

     
     ✒️नीलेश सिंह 


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