छठ एक एहसास
छठ त्यौहार नहीं एक एहसास दशहरा,दिवाली तो है त्यौहार छठ पूजा है हर बिहारी का प्यार, सारे त्योहार शहर मे भी मना सकते है, दिल नहीं लगेगा अगर छठ मे नहीं पहुँचोगे घर,द्वार यह पर्व केवल पर्व नहीं एक एहसास है,छठ आस्था का ऐसा संगम है जंहा प्रकृति का हर रूप एक जगह जमा हो जाता है और जिसमें हम डुबकी लगाते है. छठ पूजा का पौराणिक कथाओं में अलग ही महत्व है सूर्य उपासना के महत्व की चर्चा महाभारत,रामायण,ब्रह्वर्तपुराण सभी में है.यह अकेली ऐसी पूजा है जहां डूबते सूरज को प्रणाम किया जाता है यह अपने आप में अनोखा है. छठ पूजा का प्रथम दिन नहाए खाए के साथ शुरू होता है और चौथे दिन उषा अर्ध्य के साथ यह पावन पर्व समाप्त होता है पुरानी मान्यताओं के अनुसार भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री और सूर्य देव की बहन है षष्ठी छठी मां,इस व्रत में इन्हीं दोनों का पूजन किया जाता है.छठ में सूर्य के साथ-साथ दोनों शक्तियों की भी आराधना होती है. प्रातः काल में स...